Jairam Mahto Scorpio News: झारखंड के गिरिडीह जिले के डुमरी से JLKM के विधायक जयराम महतो, हाल ही में एक नई एस-11 स्कॉर्पियो गाड़ी (नंबर जेएच-10डीबी-1947) खरीदने के कारण विवादों में घिर गए हैं। उनकी यह कार खरीदारी सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई है, खासकर उनके पूर्व बयानों के संदर्भ में, जिनमें उन्होंने विधायक भत्ते का विरोध किया था।
साल 2025 के विधानसभा सत्र के दौरान, जयराम महतो ने कहा था कि उन्हें विधायक भत्ता नहीं चाहिए और उन्हें और उनके जैसे अन्य विधायकों को आवास की बजाय सरकारी क्वार्टरों में रहना चाहिए। इसके अलावा, उन्होंने यह भी सुझाव दिया था कि विधायकों को आम जनता की तरह सरकारी बसों से विधानसभा आना चाहिए। लेकिन, अब जब उन्होंने एक नई स्कॉर्पियो खरीदी है, तो उनके इन बयानों और क्रियाओं के बीच विरोधाभास को लेकर सवाल उठने लगे हैं।

जयराम महतो ने कार खरीदने पर क्या कहा?
जब सोशल मीडिया पर जयराम महतो की नई गाड़ी की खरीदारी को लेकर सवाल उठे, तो उन्होंने इसका जवाब दिया। महतो ने कहा कि विधायक भत्ता प्राप्त करने के लिए उनके पास एक गाड़ी होना आवश्यक है, और इसी कारण उन्होंने यह गाड़ी खरीदी। इसके साथ ही, उन्होंने यह घोषणा भी की कि वह फरवरी और मार्च महीने में अपनी सैलरी का 75% हिस्सा डुमरी के उन छात्र-छात्राओं में वितरित करेंगे, जो मैट्रिक और इंटर की परीक्षाओं में मेरिट लिस्ट में शीर्ष 10 में स्थान प्राप्त करेंगे।
हालांकि, उनके इस जवाब के बाद भी सोशल मीडिया पर उनकी कथनी और करनी के बीच सामंजस्य की कमी को लेकर बहस जारी है। कई यूजर्स यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या विधायक का यह कदम उनके पूर्व बयानों से मेल खाता है, जिनमें उन्होंने भत्तों और सुविधाओं के खिलाफ अपनी राय दी थी।
विवादों में घिरे जयराम महतो
इससे पहले भी, जयराम महतो सुर्खियों में रहे हैं, खासकर बोकारो में बीएसएल क्वार्टर के मामले और विधानसभा सत्र के दौरान पत्रकारों से उनके व्यवहार को लेकर। यह पहला अवसर नहीं है, जब महतो की छवि सवालों के घेरे में आई हो।
उनके इस ताजा कदम से यह स्पष्ट हो जाता है कि सार्वजनिक जीवन में नेताओं को अपनी कथनी और करनी में सामंजस्य बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। नेताओं के बयान और कार्यों में फर्क होने से जनता का विश्वास कमजोर हो सकता है।
निष्कर्ष… जयराम महतो का मामला यह दर्शाता है कि राजनीतिक क्षेत्र में निर्णय और बयानों में पारदर्शिता और स्थिरता की आवश्यकता है। अगर नेताओं के बयान और कार्यों में विरोधाभास होता है, तो जनता के बीच भ्रम और संदेह की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। महतो की नई गाड़ी खरीदारी पर उठे सवालों ने इस बात को और अधिक स्पष्ट किया है कि सार्वजनिक जीवन में नेताओं की छवि को सही तरीके से स्थापित करना आवश्यक है।